प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल डॉ वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय का नया कुलपति नियुक्त किया गया है। राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने शुक्रवार को इस संबंध में आदेश जारी किए हैं। प्राकृतिक खेती को आंदोलन का रूप देकर देश-विदेश में पहुंचाने वाले प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल वर्तमान में प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना में कार्यकारी निदेशक के पद पर तैनात हैं।
प्रो. चंदेल ने प्राकृतिक खेती को हिमाचल प्रदेश के कोने-कोने में पहुंचाने के साथ देश और विदेश में भी इसका प्रसार किया है। प्रो. चंदेल प्राकृतिक खेती ने प्राकृतिक खेती को राष्ट्रीय स्तर पर शुरू करवाने में नीति आयोग के साथ मिलकर नीति निर्धारण में अहम योगदान दिया हैं। वर्तमान में वे नीति आयोग, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, कई राज्यों व विश्वविद्यालयों की कमेटियों के सदस्य हैं।
प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने भविष्य की खाद्य जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सतत् खाद्य प्रणाली और स्व प्रमाणीकरण प्रणाली का प्रारूप तैयार किया है, जिसे देश की नीति निर्धारक संस्था नीति आयोग और दुनिया भर में खाद्य प्रणाली से जुड़ी सबसे बड़ी संस्था संयुक्त राष्ट्र खाद्य संघ, आईफोम इंटरनेशनल, इनरा फ्रांस और बायोविजन समेत नामी संस्थाओं ने सराहा है। इसके अलावा प्रो. चंदेल देश भर के कृषि और वानिकी विश्वविद्यालयों में प्राकृतिक खेती विषय का पाठ्यक्रम तैयार करने वाली कमेटी के भी सदस्य सचिव हैं।
हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल आचार्य देवव्रत के साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व में प्रो. चंदेल ने प्राकृतिक खेती को प्रदेश की सभी पंचायतों तक पहुंचाया है जिसके चलते प्रदेश के किसानों ने उन्हें पहाड़ी पालेकर की संज्ञा दी है। दो दर्जन से अधिक पुस्तकों का सफल प्रकाशन, 200 से अधिक रिसर्च पेपर, 22 प्रोजेक्ट रिपोर्ट प्रकाशित करने सहित विभिन्न नामी समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में लेख प्रकाशित किए हैं।
शिक्षण व अनुसंधान के क्षेत्र में 25 वर्षों से अधिक का अनुभव रखने वाले प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल मूलतः बिलासपुर जिला के घुमारवीं क्षेत्र से सबंध रखते हैं। इनका जन्म वर्ष 1967 में हुआ है। चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय से स्नातक और स्नातकोतर की उपाधि पाने के बाद प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने नौणी विश्वविद्यालय से कीट विज्ञान में पीएचडी की उपाधि ली है। इन्होंने कृषि व वानिकी शिक्षण में जर्मनी से विशेष अध्ययन किया है।
रिसर्च फैलो के रूप में सेवा के रूप में अपने करियर की शुरूआत करने वाले प्रो. चंदेल कई अहम पदों में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। वे नौणी विश्वविद्यालय, सोलन में संयुक्त निदेशक अनुसंधान, वरिष्ठ वैज्ञानिक कीट विज्ञान और प्रिंसिपल रेजीड्यू एनालिस्ट भी रह चुके हैं। इन्होंने शुष्क क्षेत्र में सेब में परागण, हर्बल शहद उत्पादन, पिस्ता की पैदावार में बढ़ोतरी, सेब में रस्टिंग समेत कई अन्य विषयों पर शोध किया है।
प्रो. चंदेल देश-विदेश की नामी संस्थाओं द्वारा पोषित परियोजनाओं के प्रमुख और विविध टीमों के सदस्य हैं। इसके अलावा वे कई शोध पत्रिकाओं के संपादक और संपादन समीति के सदस्य भी रहे हैं। प्रो. चंदेल को उनके कृषि, बागवानी, शिक्षण, अनुसंधान और किसान कल्याण के लिए कई नामी संस्थाओं की ओर से दर्जनों प्रशस्ति पत्र और पुरस्कार देकर भी सम्मानित किया गया है। प्रो चंदेल कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सेमीनार में प्रमुख वक्ता के तौर पर व्याख्यान दे चुके हैं। इसके साथ ही वे भारत सरकार की कृषि प्रमाणीकरण कमेटी के भी सदस्य हैं।
प्राकृतिक खेती के प्रसार के लिए प्रो चंदेल के प्रयासों की सराहना देश के माननीय प्रधानमंत्री कई मंचों में कर चुके हैं। ये प्रो चंदेल के प्रयासों का ही नतीजा है कि आज हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक खेती राज्य बनने की ओर अग्रसर है और देश के अन्य राज्यों के लिए आदर्श राज्य बनकर उभरा है व ये राज्य हिमाचल के मॉडल को अपना रहे हैं।