चुनावी साल में प्रवेश कर चुके पहाड़ी राज्य हिमाचल की राजनीतिक सरगर्मियों के बढ़ने के साथ राजनीतिक गलियारों में गर्माहट बढ़ना शुरू हो गई है। हालांकि इन दिनों हिमाचल में भारी बर्फबारी और बारीश के कारण भयंकर शीतलहर जारी है। लेकिन कर्मचारी हितैषी सरकार का तगमा हासिल करने में जयराम सरकार ने अपनी कोई कसर नहीं छोड़ी है और पूर्ण राजत्व दिवस के मौके पर कर्मचारियों और गरीबों के लिए राहतें प्रदान कर मास्टर स्ट्रोक खेला है। भले ही 4 सालों के कार्यकाल के दौरान विपक्ष की ओर से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के कमजोर और अनुभवहीन मुख्यमंत्री होने के साथ क्षेत्रवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगे हों, लेकिन चुनावी साल में जयराम ठाकुर ने पंजाब, उतराखंड, यूपी और दिल्ली की तर्ज पर मुफ्त में लोकलुभावन सुविधांए देने की शुरूआत कर दी है। जिससे उनके विरोधियों और खासकर विपक्ष की धुकधुकी बढ़ गई है। जयराम ठाकुर ने कर्मचारियों को नए पे स्केल देने के ऐलान के बाद इसमें कर्मचारियों द्वारा वाांच्छित बदलावों को न सिर्फ सहज स्वीकार किया है, बल्कि ब्यूरोक्रेट्स के बराबर डीए देने के साथ एक कदम आगे बढ़कर प्रदेश के पौने दो लाख पैंशनर को भी लाभ देने घोषणा कर उन्हें भी अपने पाले में किया है। इतना ही नहीं जयराम ठाकुर ने पुलिस के जवानों के दर्द को समझते हुए उन्हें भी बड़ी राहत दी है, इसका भी सीधा लाभ उन्हें चुनावों में होगा। क्योंकि पुलिस जवानों के परिवारजनों ने प्रदेश के विभिन्न स्थानों में मुख्यमंत्री से मिलकर जवानों को राहत देने की मांग की थी। इस मामले में मुख्यमंत्री जवानों के साथ उनके परिवारजनों को भी खुश किया है।
गौर रहे कि सत्ता पर आते ही जयराम ठाकुर ने सबसे पहले वृद्धजनों की पैंशन को लेकर बड़ा फैसला लिया था और उन्होंने बिना आय सीमा के वृद्धावस्था पेंशन प्राप्त करने की आयु सीमा 80 वर्ष से घटाकर 70 वर्ष करने का फैसला लिया था। जिससे वृद्धावस्था पैंशन प्राप्त करने वालों को उन्होंने शुरूआती साल में ही अपनी ओर कर लिया था। इतना ही नहीं यदि आंकडों की माने तो सरकार के चार साल के कार्यकाल में पेंशन के लगभग दो लाख नए मामले स्वीकृत किए गए और विभिन्न प्रकार की सामाजिक सुरक्षा पेंशन में वृद्धि की गई है।
स्वर्ण जयंती नारी सम्बल योजना के अन्तर्गत 65 से 69 वर्ष की महिलाओं को 1000 रुपये प्रतिमाह की दर से पेंशन प्रदान की जा रही है। बीण्पीण्एलण् परिवारों की बेटियों के विवाह के लिए मुख्यमंत्री शगुन योजना और बेसहारा महिलाओं और लड़कियों के विवाह के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करने में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना बहुत लाभादायक सिद्ध हुई हैं।
इसके अलावा समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं और पेंशन का लाभ लेने के लिए वार्षिक आय सीमा को मौजूदा 35000 रुपये से बढ़ाकर 50000 रुपये करने की घोषणा की।
मुख्यमंत्री ने कमजोर वर्ग को साधने के लिए प्रतिमाह 60 यूनिट विद्युत खपत पर प्रदेश के घरेलू उपभोक्ताओं से कोई विद्युत शुल्क न लेने की घोषणा की। इसके अतिरिक्त 125 यूनिट विद्युत खपत वाले घरेलू उपभोक्ताओं से प्रति यूनिट एक रुपया विद्युत शुल्क लिया जाएगा। इससे 11 लाख से अधिक घरेलू उपभोक्ता लाभान्वित होंगे। सरकार यह राहत प्रदान करने के लिए 60 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय वहन करेगी। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने प्रदेश के किसानों को राहत प्रदान करने के लिए विद्युत शुल्क 50 पैसे से घटाकर 30 पैसे प्रति यूनिट करने की घोषणा की। यह लाभ अप्रैल 2022 से प्रदान किया जाएगा।
52 वर्षाें में कहां से कहां पहुंचा हिमाचल
हिमाचल ने सभी क्षेत्रों में अभूतपूर्व विकास किया है। वर्ष 1971 में जहां प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय केवल 651 रुपये थी जो आज बढ़कर 1,83,286 रुपये हो गई है। प्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद वर्ष 1971 में 223 करोड़ रुपये के मुकाबले अब 1,56,522 करोड़ हो गया है। उस समय प्रदेश की साक्षरता दर 23 प्रतिशत थी जो बढ़कर 82.80 प्रतिशत हो गई है। प्रदेश में कृषि उत्पादन 954 मीट्रिक टन से बढ़कर 1500 मीट्रिक टन और अन्न उत्पादन 9.40 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 16.74 लाख मीट्रिक टन हो गया है।
4 साल के कार्यकाल की उपलब्धियां
राज्य सरकार ने अब तक के अपने चार वर्षों के कार्यकाल के दौरान प्रदेश की आर्थिकी के सुदृढ़ीकरणए वृद्धजनों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करनेए युवाओं के लिए रोजगार व स्वरोजगार के अवसर सृजित करनेए महिला सुरक्षा और उनका सामाजिक.आर्थिक उत्थान सुनिश्चित करनेए किसानों व बागवानों और समाज के पिछड़े वर्गों की समृद्धि के लिए गंभीरतापूर्वक प्रयास किए हैं। पिछले चार वर्षों के दौरान 3108 किलोमीटर लंबी सड़कों और 240 पुलों का निर्माण किया गया है तथा 321 गांवों को सड़क सुविधा प्रदान की गई। वर्तमान में प्रदेश में 78 उप-मण्डलाधिकारी कार्यालय हैं जिनमें से 10 वर्तमान राज्य सरकार के कार्यकाल के दौरान खोले गए हैं। वर्ष 1971 में प्रदेश में 2062 ग्राम पंचायतें थीं और वर्तमान में यह संख्या बढ़कर 3615 हो चुकी हैं जिनमें से 412 नई पंचायतें वर्तमान राज्य सरकार द्वारा सृजित की गई हैं।
पिछले चार साल के कार्यकाल में जयराम सरकार को कई उतार चढ़ावों से गुजरना पड़ा है और जयराम ठाकुर हिमाचल प्रदेश के ऐसे पहले मुख्यमंत्री होंगे जिन्हें कई बार पद से हटाने को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म होता रहा, लेकिन वे डटे रहे और अब अपने कार्यकाल के आखिरी वर्ष में खुलकर फ्रंट फूट पर खेलना शुरू कर चुके हैं। हालांकि जयराम ठाकुर कर्मचारियों को नया पे स्केल और उनकी अन्य मांगों को मानकर उन्हें साधने में सफल साबित हुए हैं, लेकिन अभी भी पुरानी पैंशन और आउटसोर्स के लिए पॉलिसी बनाना शेष रह गया है। यदि वे इन दो मामलों में भी कोई सकारात्मक पहल करते हैं तो इससे कर्मचारी वर्ग उनके सरकार रिपीट करवाने के सपने को मूर्त रूप देने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।