मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भेंट की। सीएम ने उन्हें अवगत करवाया कि हिमाचल ने हाल ही की बरसात में आई प्राकृतिक आपदा से संबंधित ‘आपदा उपरान्त जरूरतों की आकलन रिपोर्ट’ गृह मंत्रालय को सौंप दी है। उन्होंने केन्द्र से राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे पुनर्निर्माण प्रयासों में मदद के लिए धनराशि शीघ्र जारी करने का आग्रह किया।
उन्होंने रियायती हेलीकॉप्टर सेवा योजना के तहत विभिन्न मार्गों को शामिल करने का आग्रह भी किया और केन्द्रीय मंत्री को अवगत करवाया कि प्रदेश ने पहले ही मार्गों का विवरण मंत्रालय को भेज दिया है। उन्होंने इसके दृष्टिगत शीघ्र मंजूरी प्रदान करने का आग्रह किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने वाइब्रेंट विलेजिज कार्यक्रम के तहत 658.31 करोड़ रुपये के प्रस्ताव प्रस्तुत किए हैं। उन्होंने केंद्रीय मंत्री को अवगत करवाया कि गृह मंत्रालय ने केवल 3.87 करोड़ रुपये की राशि के 14 कार्यों के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दी है। उन्होंने शेष धनराशि शीघ्र स्वीकृत करने का आग्रह करते हुए कहा कि इन गांवों का विकास राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
केंद्रीय मंत्री ने राज्य को हरसंभव सहायता देने का आश्वासन दिया।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने नई दिल्ली में केन्द्रीय नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया से शिष्टाचार भेंट की।
मुख्यमंत्री ने ए 320 विमानों के संचालन के लिए कांगड़ा हवाई अड्डे के 1376 मीटर से 3010 मीटर तक प्रस्तावित विस्तारीकरण पर चर्चा की। उन्होंने भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) द्वारा हवाई अड्डे के निर्माण के लिए शीघ्र कार्यवाही का आग्रह किया, जिसके लिए राज्य सरकार भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया पूरी करेगी।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जिला मुख्यालयों के साथ-साथ जनजातीय क्षेत्रों में हेलीपोर्ट निर्मित करने की दिशा में कार्य कर रही है। उन्होंने पहले चरण में राज्य में प्रस्तावित 9 हेलीपोर्ट के निर्माण की प्रक्रिया में तेजी लाने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि ये हेलीपोर्ट जनजातीय और दूरदराज के क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा प्रदान करने, आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं और बर्फीले क्षेत्रों में स्थानीय लोगों और पर्यटकों के फंसने की स्थिति में उन्हें सुरक्षित निकालने में मील पत्थर साबित होंगे।
मुख्यमंत्री ने आर.के. सिंह के साथ राज्य में एसजेवीएन और एनएचपीसी द्वारा निष्पादित बिजली परियोजनाओं में विलंबित रॉयल्टी के कारण होने वाली राजस्व हानि के कारण प्रदेश के हितों की रक्षा के बारे में विचार-विमर्श किया। उन्होंने राज्य की विद्युत नीति के तहत मुफ्त बिजली देने का आग्रह किया तथा चालीस वर्ष के बाद यह परियोजनाएं राज्य को वापिस मिलने पर भी बल दिया।
केंद्रीय मंत्री ने सैद्धांतिक रूप से सहमति व्यक्त की कि विद्युत परियोजनाओं में राज्य को कम से कम 12 प्रतिशत न्यूनतम रॉयल्टी मिलनी चाहिए। उन्होंने रॉयल्टी के मामले और राज्य सरकार की चिंता के अन्य सभी विषयों की समीक्षा एक स्वतंत्र प्राधिकरण के रूप में केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के साथ दोनों पक्षों के अधिकारियों की टीम द्वारा करने का सुझाव दिया ताकि राज्य को इसका उचित हिस्सा मिल सके। उन्होंने मुख्यमंत्री के आग्रह पर 20 जनवरी तक समीक्षा पूर्ण करने पर सहमति व्यक्त की।
मुख्यमंत्री ने राज्य में चरणबद्ध तरीके से स्मार्ट मीटरों की स्थापना को बढ़ाने के अलावा स्थापना की समय सीमा बढ़ाने और बिजली के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए भारत सरकार द्वारा धन जारी करने की पूर्व शर्त के रूप में इसे न जोड़ने का भी आग्रह किया। केंद्रीय मंत्री ने इसके लिए सहमति जताई।
मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय मंत्री द्वारा प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों के उनके दौरे के दौरान की गई घोषणाओं को पूरा करने का भी आग्रह किया। उन्होंने पांगी में 400 किलोवाट की दो सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए दस करोड़ रुपये जारी करने का भी आग्रह किया, जिस पर केंद्रीय मंत्री ने सहमति व्यक्त की।
बैठक में मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार राम सुभग सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव भरत खेड़ा, आवासीय आयुक्त मीरा मोहंती और मुख्यमंत्री के प्रधान निजी सचिव विवेक भाटिया भी उपस्थित थे।